घटनास्थल पर गौर करें तो सभी चार बच्चे और उनकी ताई एक-दूसरे के ऊपर पड़े हुए थे, जबकि एक बच्चा फर्श पर मृत पड़ा था। इससे प्रतीत हो रहा है कि दम घुटने पर पांचों बच्चे अपनी ताई से लिपट गए थे। लेकिन, दम तोड़ते वक्त उन्होंने हाथ-पांव पीटे और फिर मौत के मुंह में समा गए। सुबह शवों को देख हर किसी के मुंह से चीख निकल पड़ी। जिस कमरे में हादसा हुआ, उसमें वेंटीलेशन का कोई रास्ता नहीं था। लिहाजा धुआं कमरे में ही इकट्ठा होता चला गया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया और कमरे में कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस फैल गई। आग में वायरिंग फूंकने से बत्ती भी गुल हो गई थी, लिहाजा कमरे में अंधेरा था। माना जा रहा है कि ऐसे में पांचों बच्चों व उनकी ताई को यह नहीं सूझा कि वे करें तो क्या करें। शवों को देखने पर स्पष्ट हुआ कि वे नाम-मात्र को झुलसे थे। शरीर धुएं से काले हो चुके थे। धुएं के गुबार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कमरे में रखे सभी सामान, दीवारें आदि भी काली हो चुकी थीं।
लोनी अग्निकांड: दम घुटने पर ताई से लिपट गए थे पांचों मासूम, मौत से पहले सबने पीटे हाथ-पांव, लेकिन