नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों में जारी हिंसा ने सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। सड़कों पर उतरे आम लोगों में बड़ी संख्या में छात्र भी शामिल हैं। संसद से पारित नागरिकता विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पूरे देश में लागू होगा तो आखिर क्यों पूर्वोत्तर के लोग ही ज्यादा विरोध कर रहे हैं।
दरअसल पूर्वोत्तर के राज्यों में रहने वाले लोगों का एक बड़ा वर्ग इस बात से डरा हुआ है कि नागरिकता बिल के पारित हो जाने से जिन शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी उनसे उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी।
एनआरसी ने भी भड़काया असम के लोगों का गुस्सा
असम में नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी की फाइनल लिस्ट से जिन 19 लाख लोगों को बाहर किया गया है उनमें लगभग 12 लाख हिंदू बंगाली शामिल हैं। इस कानून के लागू होने से उनमें से अधिकतर को नागरिकता मिल जाएगी।