प्रदेश में कुटीर और ग्रामोद्योग को आर्थिक रूप से सशक्त और लोकप्रिय बनाने के लिये राज्य सरकार ने सत्ता संभालते ही शिल्पियों, ग्रामीण कारीगरों और हुनरमंद कलाकारों को प्रोत्साहित करना शुरू किया। शिल्प कलाओं से जुड़े ग्रामीण कई वर्षों से जीविका में कोई नया आयाम नहीं जुड़ने से निराश और हताश थे। सरकार ने इन्हें बढ़ावा देकर आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की पहल की।पिछले एक वर्ष में राज्य सरकार ने अपने वचन-पत्र के कुटीर एवं ग्रामोद्योग संबंधी सात वचन पूरे किये हैं। शेष सात वचन पूरा करने की कार्यवाही शुरू की गई है। प्रदेश में हाथकरघा, हस्तशिल्प एवं माटी कला शिल्प के उत्कृष्ट शिल्पियों को प्रतिवर्ष पुरस्कार दिए जाना शुरू किया गया है। पुरस्कार राशि को दोगुना कर क्रमश: एक लाख, 50 हजार, 25 हजार के स्थान पर 2 लाख, एक लाख और 50 हजार रूपए के प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार देने का निर्णय क्रियान्वित किया गया। मृगनयनी विक्रय केन्द्रों से जुड़े राष्ट्रीय फैशन संस्थान के विद्यार्थी राज्य सरकार ने कार्यकाल के पहले साल में ही मृगनयनी एम्पोरियम से राष्ट्रीय फैशन संस्थान के विद्यार्थियों को जुड़ने का अवसर दिया। इस योजना में संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा बुनकरों के लिए कोई डिजाइन विकसित की जाती है, तो उसे उपभोक्ता को क्रय करने के लिए उपलब्ध कराते हुए प्राप्त राशि में से 2 से 5 प्रतिशत तक राशि रायल्टी के रूप में विद्यार्थियों को देने का निर्णय लागू किया। छत्तीसगढ़ और आन्ध्रप्रदेश के साथ अनुबंध कर प्रदेश के हाथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों को व्यापक बाजार उपलब्ध कराया गया। मृगनयनी विक्रय केन्द्रों से गत वर्ष हुई।