लोगों के लिए आफत बने सड़कों पर घूम रहे लावारिस पशुओं को पकड़ने में अब ठेकेदार को भी परेशानी हो रही है। ठेकेदार का कहना है कि दो दिन पहले उसने दस लोगों को लगाकर कड़ी मशक्कत के बाद 25 पशुओं को पकड़ा, लेकिन नंदीशाला ने इन पशुओं को लेने से मना कर दिया। ऐसे में उन पशुओं को बाहर ही छोड़ना पड़ा। वहीं नंदीशाला के अध्यक्ष स्वामी राघवानंद ने कहा कि पशु लेने से मना नहीं किया, अधिक ठंड होने के कार कुछ दिन बाद पशु छोड़ने की बात कही थी। दरअसल नगर परिषद ने शहर से लावारिस पशुओं को पकड़ कर नंदीशाला भेजने के लिए आठ महीने पहले ठेका दिया था। ठेकेदार को एक पशु को पकड़ने के लिए के लिए 486 रुपये को भुगतान नगर परिषद द्वारा करना है। ठंड के चलते यह अभियान बंद था, लेकिन अब मौसम साफ होने के बाद ठेकेदार ने पशुओं को पकड़ना शुरू कर दिया है तो नंदीशाला ने पशुओं को रखने से मना कर दिया है। इसको लेकर ठेकेदार सोमवार को नगर परिषद ने शिकायत करने पहुंचा, लेकिन अधिकारी कार्यालय में नहीं होने के चलते शिकायत नहीं दी जा सकी।
तीन हजार पशु सड़कों पर
तीन साल पहले प्रशासन ने खुद अभियान चलाकर चार हजार पशुओं को नंदीशाला में भेजा था। उस समय डीसी, एसडीएम और सीटीएम स्तर के अधिकारी भी रात को पशुओं को पकड़ते थे। इसके बाद से यह अभियान बंद हो गया। अब ठेका देने के बाद लोगों को राहत की उम्मीद थी, लेकिन इसमें भी खास राहत नहीं मिली है। फिलहाल शहर की सड़कों पर करीब तीन हजार लावारिस पशु घूम रहे हैं।
पकड़े गए पशुओं को रखने से मना कर रहे नंदीशाला के संचालक